अपने बारे में कहने के लिए विशेष कुछ नहीं है मेरे पास ! बचपन माता पिता की स्नेहिल छात्र छाया में बहुत सुखपूर्वक बीता ! पिताजी, श्री ब्रृज भूषण लाल जी सक्सेना, मध्य प्रदेश में न्यायाधीश के गरिमामय पद पर कार्यरत रहे ! माँ, श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना ‘किरण’, एक विदुषी महिला थीं एवं अपने समय की प्रख्यात कवियित्री थीं!
विरासत में साहित्य के प्रति अनन्य अनुराग मुझे अपनी माँ से ही मिला ! कभी-कभी थोड़ा बहुत स्वांत: सुखाय अपनी भावनाओं को डायरी में उकेरने का मेरा उपक्रम चलता रहा किन्तु कभी उन रचनाओं को सहेज कर नहीं रखा ! ग्रेजुएशन करने के बाद मात्र उन्नीस वर्ष की आयु में विवाह बंधन में बँध कर मैंने ससुराल में अपना पहला कदम रखा जो कि एक संयुक्त परिवार था ! गृहस्थी के दायित्व और बच्चों की शिक्षा दीक्षा की जिम्मेदारियाँ निभाते हुए साहित्य सृजन का शौक तनिक धूमिल पड़ गया लेकिन जब बच्चे भी अपने-अपने जीवन में स्थापित हो गये और कुछ समय अपने लिये भी मिला तो इस शौक को पुन: कुछ उर्वरक मिले और यह लहलहा उठा!
सितम्बर २००८ से अपने ब्लॉग ‘सुधिनामा’ पर सक्रिय हूँ ! सामाजिक सरोकारों के प्रति मेरा हृदय सदैव प्रतिबद्ध रहा है और जब भी मेरे मन को कुछ विचलित करता है मैं उस पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करती हूँ ! स्वभाव से मैं एक भावुक, संवेदनशील एवं न्यायप्रिय महिला हूँ ! झूठ, बनावट एवं सतही आचरण सदैव मुझे आहत करते हैं ! अपने स्तर पर अपने आस पास के लोगों के जीवन में यथासंभव खुशियाँ जोड़ने की कोशिश में जुटे रहना मुझे अच्छा लगता है !
शिक्षा –
- स्नातक – जीवाजी विश्व विद्यालय, सन् १९६७
- सृजनात्मक लेखन हिन्दी में डिप्लोमा (डी सी एच ) – इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्व विद्यालय
- अनुवाद में स्नातकोत्तर डिप्लोमा ( पी जी डी टी) – इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्व विद्यालय
- एड्स एवं परिवार शिक्षा में प्रमाण पत्र ( सी ए एफ़ ई ) – इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्व विद्यालय
- आकाशवाणी आगरा से १९८८ से १९९५ तक कविताएं, कहानियाँ व अन्य रचनाओं का प्रसारण
प्रकाशित पुस्तकें –
- संवेदना की नम धरा पर – काव्य संग्रह, सन् २०१६
- एक फुट के मजनूमियाँ – बाल कथा संग्रह, सन् २०१८
- तीन अध्याय – प्रकाशन हेतु तैयार कहानी संग्रह
- अनेक साझा काव्य संग्रहों में व साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं तथा समाचार पत्रों के विशेषांकों में रचनाएं प्रकाशित होती रही हैं !
- टूटते सितारों की उड़ान – ‘तुम्हें आना ही होगा’, ‘अहसास’, ‘ज़रा ठहरो’, ‘झील के किनारे’, ‘चूक’, ‘उड़ चला मन’, ‘मौन’, ‘माँ’, ‘तुम आओगे ना’, ‘कल रात ख्वाब में’ !
- प्रतिभाओं की कमी नहीं – ‘कल रात ख्वाब में’!
- शब्दों के अरण्य में – ‘सुमित्रा का संताप’!
- बालार्क – ‘जागृति’, ‘छलना’, ‘पागल चाँद’, ‘परिधियाँ’!
- नारी विमर्श के अर्थ – ‘नारी विमर्श की व्यथा कथा’!
- समकालीन महिला साहित्यकार – लघु कथा ‘सुनती हो शुभ्रा’ !
- स्वप्नागंधा साहित्यिक मंच से आयोजित लघु कथा प्रतियोगिता में मेरी लघु कथा, ‘मोक्ष’ को प्रथम स्थान मिला!
- सन् २००८ से अपने ब्लॉग ‘सुधिनामा’ के माध्यम से अपने पाठकों तक अपनी रचनाएं पहुँचाने के लिए सतत प्रयत्नशील हूँ ! जो भी कुछ मेरे हृदय को छूता है, मुझे उद्वेलित करता है वही मेरी रचना के रूप में आकार ले लेता है ! नारी हृदय की व्यथा, नारी का संघर्ष एवं नारी अस्मिता पर उठाई गयी उंगलियाँ मेरे प्रिय विषय रहे हैं!